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मोदी सरकार सरकार की योजनाओं और जानकारियों को आमजन तक पहुंचाने के लिए पहल कर रही है। इसी दिशा में सरकार की 30 हजार से अधिक वेबसाइट अगले डेढ़ साल में हिन्दी समेत 12 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगी। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ई-भाषा योजना पर कवायद तेज हो गई है। केन्द्र के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर आईआईटी बीएचयू,आईआईआईटी हैदराबाद और सी-डैक(नोएडा) मिलकर काम कर रहे हैं। इस समय केन्द्र की ज्यादातर वेबसाइट अंग्रेजी भाषा में हैं। इसे देश के लोगों के लिए सुलभ बनाने के उद्देश्य से सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फॉर इंडियन लैंग्वेजेज का गठन किया है। इस कमेटी के चेयरमैन आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रो. राजीव संगल हैं। डीटी की हाल में ही दिल्ली में हुई बैठक में इस काम की योजना को अंतिम रूप दिया गया है। प्रो. संगल के मुताबिक यह काफी महत्वपूर्ण काम है और हम इसे बेहतर तरीके से करेंगे। वेबसाइट हिन्दी के साथ तमिल,तेलगु, पंजाबी,उर्दू,मलयाली,कन्नड़ आदि भाषा में होगी। उन्होंने बताया कि वेबसाइट के अनुवाद में मशीन ट्रांसलेशन का प्रयोग करेंगे,ताकि कम-से-कम समय लगे।
प्रो. संगल ने बताया कि हम एक साफ्टवेयर विकसित करेंगे। इसके माध्यम से कोई भी भाषा-भाषी व्यक्ति वेबसाइट की सूचनाओं को अपनी भाषा में खोलकर पढ़ सकेगा। इस साफ्टवेयर का ऑप्शन भी वेबसाइट पर ही उपलब्ध होगा। प्रो. संगल ने बताया कि पहले चरण में वेबसाइटों का 12 भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है। इसके बाद 10 और भाषाओं में भी अनुवाद किया जाएगा। यह काम दूसरे चरण में होगा। इसमें पहले चरण की अपेक्षा कम समय लगेगा।
साभार–वैश्विक हिन्दी सम्मेलन, मुंबई
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Mon Mar 27 , 2017
शहर के नामी कॉलेज में रामायण का मंचन चल रहा था। राम 14 वर्षों का वनवास काटकर,रावण पर विजयश्री प्राप्त कर अयोध्या लौट आए थे। तभी एक आदमी (जो पेशे से धोबी था) रास्ते में अपनी पत्नी को पीट रहा था और कहता जा रहा था-`जा,चली जा यहाँ से,मैं कोई प्रभु श्रीराम नहीं हूँ जो पर-पुरुष के साथ रही स्त्री को अपने घर में रख लूँ।` ये सुनकर श्रीराम जी ने भी अपनी पत्नी के आगे अग्नि परीक्षा की शर्त रख दी। इतनी बड़ी बात सुनकर सीता ने चौंककर श्रीराम की और देखा फिर तल्ख़ आवाज़ में बोली-`चाहे मर्यादा पुरुषोत्तम हो या साधारण पुरुष,स्त्रियों के प्रति दोनों का रवैय्या एक-सा ही रहता है। मैंने आपके लिए 14 वर्ष वनवास में बिताए,अपने राजसी ठाठ-बाट छोड़कर में आपके साथ कंटीले रास्तों पर चली। क्या मेरा ये कहना कि,रावण ने मुझे छुआ तक नहीं,आपके लिए विश्वास योग्य नहीं है ? इससे पहले कि आप अपनी गर्भवती पत्नी का त्याग करें,मैं स्वयं ही आपको छोड़कर जा रही हूँ। जो व्यक्ति अपनी पत्नी के नहीं,दूसरों के वचनों पर विश्वास करता है,वो साथ रहने योग्य नहीं है। सीता के मुख से ये सुनकर श्रीराम के साथ अयोध्यावासी भी हतप्रभ थे। साथ ही दर्शकों से खचाखच भरा हॉल भी निस्तब्ध था। नाटक के निदेशक को लगा,सीता बनी सुनिधि अपने डायलाग भूल गई है,वे इशारों मेंसे सीता को समझाने का प्रयास कर रहे थे। तभी मंच के पीछे से तालियों की आवाज़ आई। ये तालियाँ कॉलेज की प्राचार्या मैडम बजा रही थी।अब वे माइक पर थी। उन्होंने बोलना शुरू किया-‘शाबाश,सुनिधि आज तुमने रामायण में नया अध्याय जोड़ दिया है,सीता को भी हक़ है कि वो राम को त्याग सके। शादी का बंधन विश्वास पर ही टिका होता है। अगर सम्बन्धों में विश्वास ही न रहे तो,साथ रहने का क्या फायदाl अरे आप लोचुप क्यों है,स्वागत कीजिए नव युग का,जहाँ नारी अपने निर्णय लेने में सक्षम है। “और हॉल तालियों की गड़गड़ाहट के साथ हर्षध्वनि से भी गुंजायमान हो उठा। #सुषमा दुबे […]
