कलम चले सतत समय सी,
लिखती नई इबारत सारी।
इतिहासों को कब भूलें है,
लिखना देव इबादत जारी।
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घड़ी सूई व चलित लेखनी,
पहिये कालचक्र अविनाशी।
चलते लिखते घूम घूम कर,
वर्तमान- भावि – इतिहासी।
……
मिटते नहीं कलम के लेखे,
जैसे विधना लेख अटल है।
हम तो बस कठपुतली जैसे,
नाचे नश्वर जगत पटल है।
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कलमी शक्ति कवि पहचाने,
क्रांति कथानक,सत्ताधारी।
गोली , तोप, तीर , तलवारे,
बम, और सत्ता से भारी।
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कलमकार सिरकलम हुए है,
जब जब सत्ताधीशों से।
नई क्रांति कलम ही लाती,
सत्ता कुचली नर शीशो से।
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कूँची कलमशक्ति हथियाके,
नई व्यवस्था सत्ता करते।
कलमवीर सिरकलमी न हो,
ऐसी सोच व्यवस्था करते।
……
कलम रचाती नई क्रांति,
नवाचार हर क्षेत्र करे।
पौधे कलम नस्ल बीज से,
हरित क्रांति हर खेत हरे।
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कलम सर्वदा सत्य छाँटती,
जैसे दर्पण कलम काटती।
सामाजिक सद्भाव पिरोकर,
ऊँच नीच मतभेद पाटती।
……
कलम अजर है कलम अमर,
कलम विजयी है सर्व समर।
कलमकार तन वस्त्र बदलते,
कलम बचे जग ढहे अगर।
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वेदों से लेकर संविधान तक,
रामायण ईसा कुरान तक।
कलम कालगति चलते रहती,
सृष्टिसृजन से प्रलयगान तक।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः