*मैं घर चलाता हूँ*

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paras nath

न किसी से अपेक्षा,
न किसी से शिकायत,
न खुशी की चाह,
न गम का परवाह,
न अधिकार की बात,
मैं अपना कर्त्तव्य निभाता हूँ ,
मैं घर चलाता हूँ ।

न खाने की चिंता,
न पहनने का शौक,
न सोने का समय,
न जगने का ठिकाना,
चलते चलते भी बुदबुदाना,
मैं अपना दायित्व निभाता हूँ,
मैं घर चलाता हूँ ।

न थकान का एहसास,
न भूख न प्यास,
अपने दुःख को छिपाना,
अपने दर्द पर मुस्कुराना,
उनके दुःख से तड़प जाना,
परिवार पर सर्वस्व लुटाता हूँ,
मैं घर चलाता हूँ ।

उनकी जरूरतें,
उनकी ख्वाहिशें,
पूरा करने की कोशिश,
उनका दुलार,
उनका ख़ुशी,
देख मैं चैन पाता हूँ,
मैं घर चलाता हूँ ।

नाम-पारस नाथ जायसवाल
साहित्यिक उपनाम – सरल
पिता-स्व0 श्री चंदेले
माता -स्व0 श्रीमती सरस्वती
वर्तमान व स्थाई पता-
ग्राम – सोहाँस
राज्य – उत्तर प्रदेश
शिक्षा – कला स्नातक , बीटीसी ,बीएड।
कार्यक्षेत्र – शिक्षक (बेसिक शिक्षा)
विधा -गद्य, गीत, छंदमुक्त,कविता ।
अन्य उपलब्धियां – समाचारपत्र ‘दैनिक वर्तमान अंकुर ‘ में कुछ कविताएं प्रकाशित ।
लेखन उद्देश्य – स्वानुभव को कविता के माध्यम से जन जन तक पहुचाना , हिंदी साहित्य में अपना अंशदान करना एवं आत्म संतुष्टि हेतु लेखन

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