जय माँ चंद्रघंटा

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niraj tyagi
नवरात्रि का आया प्यारा पावन त्यौहार,
आओ पूजे माँ के नो रूपो को बारंबार,
माँ दुर्गे को जिस तीसरे  रूप पूजा जाता है,
वो रूप माँ का चंद्रघंटा कहलाता है,
माँ चंद्रघंटा का नाम ही है अपने आप मे विशेष,
चंद्र शब्द का अर्थ है अपने मन के घटते बढ़ते रूप,
जैसे चंद्रमा स्याम को अपना रूप छोटे से बडे में बदलता,
उसी प्रकार मन के विचारों का भी रूप घटता बढ़ता जाता,
माँ चंद्रघंटा नाम घंटा शब्द भी विशेष,
जैसे मंदिर में घंटा घड़ियाल, अस्त व्यस्त
हो मन जब माँ चंद्रघंटा को पूजे,मन को
ये स्थिर कर दे , बस मन मे विचार घंटे के
स्वर समान बस आये सिर्फ एक,
माता रानी की पूजा से भटका मन (चंद्र) घंटे की
ध्वनि समान एकाग्र और एकचित हो जाता है
इसलिए मेरी माँ का नाम चंद्रघंटा कहलाता है।
तीसरे नवरात्रि पर आओ सब इनको मिलकर पूजे भाई,
 
#नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )

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