अटल सत्य है

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अटल अटल थे
अभी अटल है ।
कल तक जो
इस पृथ्वी पर थे ।
वही अटल आज
व्रह्मविलीन हो गये ।
धरा पर जिसका
नाम अटल था ।
आकाश में जाकर
अटल हो गया है ।
तारो के संग हिल
मिल गया है ।
आज सभी के
दिलो में बसा है ।
खोने का तो
गम बहुत है ।
होनी को जो
करना था ।
अपने समय पर
वही हुआ है ।
अटल सत्य
यही है यारो ।
जीवन मृत्यु
अटल सत्य है ।
जीवन जिसको
यहाँ मिला है ।
मृत्यु उसकी
अटल सत्य है ।
यही सत्य है
यही सत्य है ।
जीवन का भी
यही सत्य है ।

   #अनन्तराम चौबे

परिचय : अनन्तराम चौबे मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहते हैं। इस कविता को इन्होंने अपनी माँ के दुनिया से जाने के दो दिन पहले लिखा था।लेखन के क्षेत्र में आपका नाम सक्रिय और पहचान का मोहताज नहीं है। इनकी रचनाएँ समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं।साथ ही मंचों से भी  कविताएँ पढ़ते हैं।श्री चौबे का साहित्य सफरनामा देखें तो,1952 में जन्मे हैं।बड़ी देवरी कला(सागर, म. प्र.) से रेलवे सुरक्षा बल (जबलपुर) और यहाँ से फरवरी 2012 मे आपने लेखन क्षेत्र में प्रवेश किया है।लेखन में अब तक हास्य व्यंग्य, कविता, कहानी, उपन्यास के साथ ही बुन्देली कविता-गीत भी लिखे हैं। दैनिक अखबारों-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। काव्य संग्रह ‘मौसम के रंग’ प्रकाशित हो चुका है तो,दो काव्य संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होंगे। जबलपुर विश्वविद्यालय ने भीआपको सम्मानित किया है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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