गीत

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nitendra sinh
घटना क्यों हैं घटती घटना,
आज यहा संसार में।
घर बाहर और बीच सड़क पर,
खुद अपने परिवार में।।

मासूमों की लाज लूटते,
मानवता सरमाई हैं।
बलात्कार से पीड़ित बेटी,
मौत के मुंह में समाई हैं।।
जान जानकर जान न पाई,
सच्चाई व्यवहार में।
घर बाहर और बीच सड़क पर,
खुद अपने परिवार में।- 1

कक्षा तीन में पढ़ने वाली,
आठ साल की बच्ची।
गैंगरेप करता हैं मानव,
उम्र अभी तो कच्ची।।
चीखो की चिल्लाहट सुनकर,
शिकार हुई बाजार में।।
घर बाहर और बीच सड़क पर,
खुद अपने परिवार में।। -2

सरस्वती स्कूल था मंदिर,
होनहार वो बेटी।
खून नही हैं उसके अंदर,
हास्पिटल में लेटी।।
पाँच डॉक्टर जान बचाते,
दिव्या हैं पतवार में।।
घर बाहर और बीच सड़क पर,
खुद अपने परिवार में।। -3

बात हमारी मानो भाई,
घड़ी सभी को आसी हैं।
जो करते हैं बलात्कार तो,
सीधे दे दो फांसी हैं।।
भारत का संविधान बदल दो,
क्यों धूल चढ़ी तलवार में।।
घर बाहर और बीच सड़क पर,
खुद अपने परिवार में।। -4

#नीतेन्द्र सिंह परमार ‘भारत’
परिचय : नीतेन्द्र सिंह परमार का उपनाम-भारत है। डी.सी.ए. के बाद वर्तमान में बी.एस-सी.(नर्सिंग) के तृतीय वर्ष की प़ढ़ाई जारी है। आपका जन्म १५ जुलाई १९९५ को बरेठी(जिला छतरपुर, मध्यप्रदेश) में हुआ है। वर्तमान निवास कमला कॉलोनी (छतरपुर)में है। रचनात्मक कार्य में आपके खाते में मुक्तक,गीत,छंद और कविताएं (वीर रस) आदि हैं। शास्त्रीय संगीत एवं गायन में रुचि रखने वाले श्री सिंह मंच संचालन में प्रतिभावान हैं। यह छतरपुर में ही नर्सिंग छात्र संगठन से जुड़े हुए हैं। लेखन और काव्य पाठ के शौकीन नीतेन्द्र सिंह की नजर में समाजसेवा सबसे बड़ा धर्म है, और सबके लिए संदेश भी यही है।

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