कुछ मुक्तक

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pratibha mahi

कुछ अँधेरों के साथ रहती हूँ

यूँ उजालों की बात कहती हूँ
बनके “माही” में ज्वार भाटा भी
इस समन्दर के साथ बहती हूँ
2)-
पर्त दर पर्त जब भी खुली हूँ मैं
आँसुओं से सदा ही धुली हूँ मैं
रुख़ बदल डालूँगी इन हवाओं का
आज इस बात पर आ तुली हूँ मैं
3)-
हूँ ग़ज़लों की मलिका-औ-गीतों की रानी
फ़िज़ाओं ने लिक्खी अज़ब एक कहानी
न जाने ख़ुदा ने गढ़ा कैसे मुझको
पड़ूँ भारी सब पर मैं पागल दीवानी
4)-
ख़ुद से कितने गिले क्या कहें
क्यूँ हैं लब ये सिले क्या कहें
तेरे दर तक पहुँच तो गए
पाँव कितने छिले क्या कहें
5)-
न थे पहले अकेले हम न तन्हा आज रहते हैं
सुनो कुछ अनकहे किस्से हमारे राज कहते हैं
कभी शोला कभी शबनम कभी दुर्गा कभी काली
कयामत हैं ख़ुदा की हम अज़ूबे हाथ गहते हैं
6)-
आप समझें तो सही हालात को
और ना आगे बढायें बात को
हम किसी की हैं अमानत जान लें
आप ना माँगें हमारे हाथ को
7)-
प्यार से हो भरी वो नज़र चाहिए
दिल है बेघर मेरा एक घर चाहिए
पल दो पल का सहारा गँवारा नहीं
साथ तेरा सनम उम्र भर चाहिए
©डॉ प्रतिभा ‘माही’

संक्षिप्त परिचय

****************

♦डॉ०प्रतिभा ‘माही’

♦नियुक्ति—-  सहायक के पद पर कार्यरत 
                      (कार्यालय ) उप निर्देशक 
                      ‎( पशु पालन एवं डेरी विभाग ) 
                      ‎पंचकूला, हरियाणा

♦निवास स्थान— पंचकूला (हरियाणा)

♦योग्यता— डबल एम०ए ( राजनीति शास्त्र व समाज शास्त्र ) पी०एच०डी० / डी०लिट०(मानद)

♦साहित्यिक गुरु–  डॉ०अशोक शर्मा ‘अक्स’

♦सृजन— गीत / ग़ज़ल / रुबाई / मुक्तक / छन्द / दोहे / कवित्त / भजन / छन्दमय कविताएँ / हाइकु / ताँका / क्षणिकाएँ / छन्द मुक्त कविताएँ / लेख / संस्मरण / लघुकथा/ साक्षात्कार व कहानी इत्यादि अर्थात (गद्य व पद्य साहित्य की सभी विधाओं में सृजन)

♦कार्य कुशलता —-रेखांकन /मंच संचालन/ फ़ोटो एडिटिंग/ पेंटिंग व आर्ट एण्ड क्राफ्ट इत्यादि।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।