ये दौरे-इम्तहान है,बस खुदा का नाम लो ऐसे वक्त में तो काज़ी,नज़ाकत से काम लो क्या सोचा तुम्हारे कर्मों का हिसाब नहीं होगा अब अपनी सफाई के सारे साज़ो-सामान लो ये तमाम रियासतें धरी की धरी ही रह जाएँगीं अपने गुनाहों की माफी अब सुबहो-शाम लो जिस्म सारा दुहरा जा […]

बन प्रणेता                   ।भरा मानस मानस रचकर            ।  दिलाये पहचान दिया आधार।१     ।       तुलसी ज्ञान।२ ममत्व भरा                   ।दिये तुलसी सिखलाये मर्यादा।           मार्गदर्शिका बन मानस शब्द।३             तपस्या फल।४ मिले निदान                   मानस धार हरिशरण पथ                हरता है चिंतन मानस पाठ।५             शब्दों में सार।६ जगत गान                          महान कवि करता निरंतर                      छोडकर निकले मानस पाठ।७                     […]

कृष्ण कुल से कहते येदु , मान सुगन्ध केवरा जैसी। कृष्णभजन में दीवानी है, भाव भक्ति है मीरा जैसी। जीवन सुरभित चंदन जैसा, मैना  कोयल  जैसा स्वर है। वर्ण सुवर्ण,भाव  भी  उत्तम, मीन से अक्षि सौम्य सुघर है। पच्चीस अगस्त जन्म दिवस, राखी से  पहले ही जन्मी है। लगता जैसे […]

होते थे पहले कभी कच्चे धागों से बंधे रिश्ते पक्के ! ये रिश्ते हों खून के या फिर धर्म के ही क्यों न हो निभते थे – जीवन पर्यंत आल्हादित मन से पर अब , होता नही है ऐसा आ गया है इन रिश्तों में भी धागे की तरह ही […]

आहट होने लगी है रक्षा बन्धन त्यौहार की बाते होने लगी है भाई बहन के प्यार की भाई बहन दोनो चाहते एक दूसरे की खुशहाली को पवित्र प्रेम सदा बना रहे राखी और कलाई को यह पर्व है नये संकल्पों को अमलीजामा पहनाने का कम से कम एक बुराई स्वयं […]

रोज़ की तरह आज सुबह भी ले आया हूँ  एक खूबसूरत आज मजबूरियों के कत्लखाने में कि उतारकर खाल इसकी बोटी-बोटी कर बेच दूँगा शाम तलक ताकि भर सके मेरी और मेरे परिवार की ज़रूरतों का पेट ये दिन……… जिसे कुदरत ने पैदा होते ही सौंपा था मेरे हाथ में […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।