अब तो जागो हे इंसान। मत बन तू इतना अंजान। झूठ फरेबी धर्म निरर्थक, मत पालो अब ये शैतान।। भ्रम फैलाना छोड़ो “नीर” अब तुम नहीं रहे नादान।। रहें दिलों में लग्न शीलता, अलग रहे अपनी पहचान।। मन में सच्ची गर भावना, हर राहों पे दिखे भगवान।। घृणा,निरादर करना त्यागो, […]

अजीबोगरीब था सफर मेरा, शुरुआत में मैंने कोई शुरुआत ही न की निकला जब घर से अनजान था मैं, रास्ते में भी किसी से मुलाकात ही न की। दिल में जुनून था,उबलता मेरा खून था, तपिश थी,लगन थी सफर में सुकून था न साथी कोई,न सहारा कोई था, किसी ने […]

दल नेता तो बदले ऐसे | कोई गणिका सारी जैसे | सत्ता तो सिंहासन जैसा | बैठा लगता रावण जैसा | धर्म बाँटकर वोट पकाते | कुछ तो सीधे नोट चटाते | मदिरा दरिया गली बहाते | गोता गंगा वोट लगाते | धमकाता है खुल्लम खुल्ला | दुश्मन घर का […]

    दशहरे के अवसर पर देखो, बिखरी पड़ी हैं लाशें। अमृतसर में कहर है टूटा, टूट गयी सैकड़ो सांसे।। कैसे नंगे नाच खेले मौत ने, इतने लोग हैं मार गिराए। रावण, मेघनाथ, कुम्भकर्ण को, जलाने थे जो आये।। दो ट्रेनें गुजरी वहां से, एकदम पटरी लहूलुहान हुई। गिनती भी […]

अमावस की वो सर्द रात , पूनम आज घर से निकली तो थी , कुछ गुमनाम लोगों की मदद करने , पर हमेशा की तरह घर का माहौल बिगड़ा हुआ था , पूनम की मदद उसे सुकून और ज़रूरतमन्द को कुछ रोटियां तो देती थी , पर निर्धन परिस्थिति में […]

प्रशासन की नाकामी का कितना भद्दा खेल, जाने कितनों को लील गई वो कम्बख्त रेल, वो कम्बख्त रेल दशहेरा हो गया काला, जाने कितने घरों से मिट गया उजाला, खुशियां लेने आए थे पर आँसूअन भरी परात, जाने वो कहां बिछड़ गए आए थे जो साथ, आए थे जो साथ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।