जिस दिन सारे हिंदू, सिख, पठान चले। चुनकर वतन परस्ती की राह चले।। दिलों में लेकर इंसाफ़ की आस चले। भारत के वीर जवान चले।। छोड़ अपने घर संसार चले।। उनके भी अपने सपने थे। उनके भी प्यारे अपने थे।। उनको भी कहाँ मालूम यह था, कि यह सफ़र आखिरी […]
काव्यभाषा
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