बज गया डंका चुनाव का, लो फिर हुई यह रेस शुरु। मैं सच्चा कि-तू झूठा, की चल पड़ी है होड़ शुरु। कोई घुमराए मज़हब से, कोई रिझाए नोटों से, कोई डराता ताक़त से, कोई लुभाए बड़े नामों से। जनता की तकलीफों को, अभी तो सब अपना बतलाते हैं, जनता चाहे […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा