किसने देखी है, मोनालिसा की हँसी… शायद चित्रकार ने, या तुमने या हमने.. शायद किसी ने नहीं| गाँव की पगडंडी पर, पहाड़ों और खेतों की मेढ़ पर बकरियाँ चराती थावरी की हँसी, भुला देती है मोनालिसा को| लेकिन तब वहाँ न चित्रकार होता है, न फोटोग्राफर होती है सिर्फ़ प्रकृति […]
काव्यभाषा
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हर्षवर्धन प्रकाश रिश्तों में अकेली स्त्रियां बांटती हैं प्रेम; ढूंढती हैं प्रेम। रिश्तों में अकेली स्त्रियां चाहती हैं एक लम्हा छांह; एक लम्हा वक़्त; एक लम्हा प्रेम। (हर्षवर्धन प्रकाश) कवि परिचय : हर्षवर्धन प्रकाश इंदौर (मध्यप्रदेश) – भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से एम.एस-सी (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया) […]