मधुबन जीवन,एक महकता तपती धरा तब नीर बरसता। राही तू क्यों,छाँव तलाशे? आलौकित कर जीवन पथ को। जो मिल जाए,तू अपना रे, राह पर अपनी बढ़ता जा रे। सुख की रातें गन्ध मारती, दुःख ही है सुखों का सारथी। जलकर बाती उजियारे पाती, मिले न इच्छित तो जश्न मना। रीत […]
काव्यभाषा
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