मैं जनमानस में पुत्रजन्म की ही क्यों लगन देखता रहा | उनके जन्मोत्सव पर मनाते जश्न में क्यों मग्न देखता रहा| अब जाकर मै विचारों से अधिक यथार्थ में उतर पाया हूँ, कामपिपासु नजरों का होते कृत्य जघन देखता रहा | 3.हाँ हर रोज रंगे रहते है अखबार जिन रक्तिम […]
