मैं त्योहार मुझे पैसों से क्या? खुशियों से नाता रखता हूँ। बिन खुशियों के कभी-कभी, ढोंगी बन ढोंग दिखाता हूँ।। रिश्ता तो सभी धर्मों से है, रिश्तेदार महज़ बदले देखा। बिन प्यादे का लोटा बनकर, कइयों को ज्ञान बांटते देखा।। सच्चाई से दूर खड़ा, धर्मों में बंट रह जाता हूँ। […]
