भाई बहिन का ये रिश्ता, कैसा अजीब है ये रिश्ता। लड़ते झगड़ते है ये आपस मे, फिर भी टूटता ना ये रिश्ता।। लड़ झगड़ कर एक हो जाते, एक दूजे के बिन रह न पाते। जब हो जाते एक दूजे से नाराज, बिन मनाएं ये रह नहीं पाते।। भाई बहिन […]

सदा गुलाब से खिलते रहो कांटो के संग भले ही रहो सद्कर्मो की महक फैले ऐसा सदाचरण करते रहो कलियुग की इस कोठरी में बेदाग हमेशा बने रहो सतयुग आहट हो चुकी है कलियुग उम्र बीत चुकी है तमस बाद उजाला निकलेगा आशाओ का दीपक जलेगा युग परिवर्तन के नायक […]

ये गगन ये धरा, ये मौसम हसीं। चलो तुम सदा , रुको ना कभी। सागर की लहरें, नदिया की धारा। कुछ बताएं हमें, समझो इशारा। ना रुकना कभी , चलते रहना सभी। मिले उर्वर धरा, या बंजर जमीं। मिले पुष्प ,कंटक, या पतझड़ कभी। मिले रोशन जहां, या अँधेरी गली। […]

मातृभाषा के प्रयोग से ही सर्वांगीण विकास संभव : डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’ नारनौल। मातृभाषा बच्चे के लिए टॉनिक के समान होती है, जो उसमें आत्म-शक्ति के साथ आत्म-विश्वास और आत्म-गौरव का भाव भी पैदा करती है। यह कहना है वीबीएस पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर (उत्तर प्रदेश) की कुलपति डॉ. निर्मला […]

बड़े नसीब वाले होते है जिन्हें प्रभु दर्शन मिलते है। कुछ तो उसमें भी विशेष होते है। जिन्हें खुद प्रभु बुलाते है और भक्ति का मौका देते है। पर कुछ वदनसीब होते है जिन्हें बुलवा भी होता है। पर दरवाजे पर होते हुए भी उनका दर्शन नहीं मिल पाता। यही […]

परिवार ना तोड़ कभी, रखना सबको साध। साथ सभी का हो तभी, मिलता प्रेम अगाध।। बाकी जैसे भी रहे, इक भाई हो राम। छोटे लेते सीख तब, सुख चलता अविराम।। लक्ष्मण चाहे ना मिले, कुम्भकर्ण मिल जाय। भाई हेतु प्राण दिए, फिर भी ना पछताय।। प्रेम सभी में खूब हो, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।