मेरी एक दुकान है, जहाँ बनते इँसान हैं। डॉक्टर-इंजीनियर या हो वकील, जो भी चाहे मेरा दिल पुलिस-सेठ या हो नेता हर इँसान मैं बना लेता। मैं जाति-भेद कभी न बढ़ाता, जो भी आता उसे पढ़ाता समानता की सीख देता, हर बात श्यामपट पर लिख देता। जिसकी रही भावना जैसी, […]
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कविता आँखें खोलती,कविता लड़ती जंग कविता लाती चेतना,कविता भरती उमंग। कविता दिल में उतरती,कविता करती मार कविता जोश उभारती,कविता की तलवार। शस्त्र सिर्फ कर सकते,तन पर ही प्रहार अंतर्मन झकझोरती,ये कविता की धार। कविता जब लगाती है,अपनी तेज हुंकार अर्जुन भी उठ खड़ा हो,करता है ललकार। याद दिला इतिहास का,बढ़ाती […]
