प्राचीनकाल में जब किसी भी सार्वजनिक-धार्मिक स्थल में विभिन्न धर्म,सम्प्रदाय या क्षेत्र के लोग मिलते थे,तब संस्कृत या हिन्दी भाषा का ही प्रयोग करते थेl तब कोई मजबूरी नहीं होती थी किसी अन्य विदेशी भाषा को अर्जित करने की,पर आज बहुत से लोग इंग्लिश भाषा की पैरवी करते हुए उसे […]

कर पूजा मेरी स्वीकार,हे माता शेरोवाली बड़ी दूर से आया हूँ,सँग लाल चुनरिया लाया हूँ, करने तेरा श्रृंगार लेकर फूलों का गलहार, तेरे द्वार पे आया हूँ, हे माता शेरोवाली कर पूजा मेरी स्वीकार,हे….l सर्वमंगला शक्ति भंडार तुम हो, सकल सृष्टि आधार तुम हो सदा दुष्टों का करती संहार, कर […]

शादी के शुरुआती साल और अभी घूमने-घुमाने का दौर जारी था। वह जनवरी का सर्द महीना था, वह भी उत्तर भारत की सर्दी का मौसम। कार्यक्रम बना मुंबई घूमने का। कानपुर से मुंबई और वापसी के टिकट रेल में आरक्षित हो चुके थे। निर्धारित तारीख और समय पर हम लोग […]

हम वंशज हैं उस हिन्दू धर्मात्मा के, जो मृत्यु के बाद भी पितरों कॊ जल चढ़ाते हैं। और जीवित में ही नहीं, हम हिन्दू वरन मरने के बाद भी पितृभक्ति का धर्म निभाते हैं। कोई लाख उड़ाए उपहास सही, लेकिन, ये उपहास हरगिज नहीं हमें डिगाते हैं। करने को सेवा […]

जयतु भारती ज्ञान दायिनी, सृजन शक्ति दे हंस वाहिनी॥ सगुण  छंद  प्रीति  बढ़ाइए, कलम  से सुगंगा  प्रवाहिए॥ नित करूँ तुझे छंद वंदना, सुफल बाल दे शीत चंदना॥ प्रबल कामना प्राण में रही, सतत सत्य की चेतना बही॥ (4चरण,दो-दो समतुकांत )                     […]

जन्नते नजर की फिक्र में जिंदगी तमाम हो गई, दर्द से सुकूँ नहीं मिला,नींद भी हराम हो गई। देख भर लिया है ख्वाब में बस यही गुनाह कर दिया, लोग मुझसे पूछने लगे-बात इतनी आम हो गई। खुद ही शर्म आ रही मुझे रहमतों की मांगते दुआ, क्या करूं ये […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।