लगती हमें कभी-कभी आसान ज़िन्दगी, लगती  हमें  कभी यहां  हैरान ज़िन्दगी। रफ़्तार से चला समय मालूम ही नहीं, कब भीड़ से हुई यहां वीरान ज़िन्दगी। हर रोशनी के बाद तम की रीत क्यों यहाँ, है  मुस्कुराहटों में परेशान ज़िन्दगी। इस ज़िन्दगी को ज़िन्दगी भर चाहते सभी, बस चार दिन रहे […]

(आधारछंद,विधान-२२ मात्राएँ) रहे  भले  ही  दूर,मगर  उर  पास  रहे, जीवन कुसुमित पुष्प,सदा मधुमास रहेl प्रिय कलिका सौंदर्य,बसाएँ अंतस में, खिले अधर मुस्कान,हृदय उल्लास रहेl सदा धीर-गंभीर,प्राप्त अवसादों को, चलें उम्र को भूल,अधर परिहास रहेll जुड़े हृदय के तार,विलगता विस्मृत हो, वह है  सच्चा  प्रेम,जहाँ  विश्वास  रहेl पंचम स्वर की तान,बनाती […]

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मेरे सामने की दीवार पर एक पुराना-सा चित्र टंगा हुआ है… जिसमें प्रकृति के नज़ारे हैं, और एक नदी बहती-सी प्रतीत होती है… वहीँ पास में कुछ घर भी दिखाई देते हैं, और वे भी मुस्कुरा रहे हैं… सब कुछ देखने पर मुस्कुराता ही नज़र आता है, पर कोई है […]

ऊपर दिया गया कथन प्राचीन ऋषियों की प्रसिद्ध उक्ति है,जो उनकी जीवन-दृष्टि का परिचायक है। मनुष्य और पशु में सबसे बड़ा अंतर उनके सीखने की क्षमता का है। कितना ही प्रयास क्यों न करें,पशुओं को हम एक सीमा से आगे नहीं सिखा सकते,पर मनुष्य के सीखने की क्षमता असीम है। […]

हमारे देश में तरह-तरह के लोचे होते रहते हैं। कभी केमिकल लोचा हो जाता है,तो कभी टेक्निकल लोचा।राजनीतिक और धार्मिक लोचे तो आए दिन होते ही रहते हैं। वैसे लोचा करने को `लुच्चई` कहते हैं कि नहीं,ये नहीं पता,लेकिन इतना जरूर पता है कि,लोचा और लुच्चई एक दूसरे के सगेसम्बन्धी जरूर […]

गांधी जयंती विशेष हिमालय की उपत्यका में गंडक नदी की यह तटवर्ती भूमि वैदिक युग में अनेक ऋषि मुनियों एवं संत महात्माओं की साधना स्थली रही। प्राचीनकाल में यह भू-भाग लिच्छिवी गणराज्य के अंतर्गत था,जहां प्राचीन भारत की सभ्यता और संस्कृति का अभ्युदय हुआ। कालांतर में यह भू-भाग मगध साम्राज्य […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।