आज हम मिलते हैं जोरहाट, असम के उस साहित्यकार से जिसकी लेखनी न सिर्फ कई विधाओं बल्कि कई भाषाओं में भी सरपट दौड़ती है। पूर्वोत्तर भारत का जाना-पहचाना नाम है पैसठ वर्षीय डॉ. रुणु बरुवा ‘रागिनी’ का जो खुलकर कहती हैं कि जिसे पिंजरे से प्यार हो जाए वह कभी […]

वो  मयखाना  था  या  दवाखाना, मैं  कुछ  भी  समझ  ही  ना पाया। पता नही क्या था मय के प्याले में, मैं  अपना  हर  गम  भुला  आया। आँखो के सामने रंगीनियां छाई थी। हर परेशानी को वहाँ मौत आई थी।। एक  संगीत  होठो  पर  खुद  ही  आया। दरिया दर्द का , […]

राघव कुटीर में समा गए सत्यमित्रानन्द महाराज ज्ञान,धर्म, अध्यात्म के थे पथप्रदर्शक संवाहक शंकराचार्य के रूप में समन्वयवाद की फैराई पताका भारतमाता का मन्दिर बनाकर राष्ट्रभक्ति से जुड़ गया नाता निर्धन,असहायों के पालक थे सन्त समाज के साधक थे पवित्रता की प्रति मूर्ति विकार मुक्त देवत्व थे शरीर छोड़कर चले […]

सुनो  ज़रा इक बात कबूतर तुम रहते थे छत के     ऊपर मगर नज़र न अब आते   हो चले कहां तुम फिर जाते   हो कहा कबूतर सुन मेरे      भाई तुमने ही ये       आफत    लाई दिये काट   जंगल   को     सारे यही पेड़ थे      मेरे        सहारे नहीं दूर    तक   मिलता  पानी आग उगलती    […]

जीवन के कुछ पन्नों पर कुछ लकीरें बन जाती हैं कुछ टेढ़ी-मेढी कुछ ऊबड़-खाबड़ मिटती बनती लकीरें आती-जाती रहती हैं लकीरें हिचकोले खाती हुई लकीरें फिर भी हौसला अफजाई करती ये लकीरें चुपचाप चलती हैं जीवन की गति की निरंतरता में। #आराधना राय” बलियावी” बलिया ,उत्तर प्रदेश  Post Views: 40

बारिस हो इतनी,कि सब नफरते धुल जाये | आपस के हमारे सब गिले-शिकवे धुल जाये || इन्सानियत तरस गयी है,अब मोहब्बत के शैलाब को | मन-मुटाव को छोड़ कर एक दूजे के गले मिल जाये || फट गये है जो दिल,आपस के मन मुटाव से | सिलाई कभी न उधडे,ऐसे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।