ऐसे सच्चे साधु जन, जैसे सूप स्वभाव। यह तो बीती बात है, शेष बचा पहनाव। शेष बचा पहनाव,तिलक छापे ही खाली। जियें विलासी ठाठ, सुनें तो बात निराली। कहे लाल कविराय, जुटाते भारी पैसे। सुरा सुन्दरी शान, बने स्वादू अब ऐसे। . ✨✨✨✨✨ टोले साधु सनेह जन, चेले चेली संग। […]
