पृथ्वी हूं , सूर्य की परिक्रमा को , भला छोड़ दूं कैसे ? पाती हूं जीवन तुमसे, जीवन को भला छोड़ दूं कैसे ? तेज से तुम्हारे ,बोती हूं नए ख्वाबों को पाती हूं एहसासों की फसल को फसल को भला छोड़ दूं कैसे ? चलती हूं संग तुम्हारे ,कदमों […]
मात्रा भार-यति-14-14* वज़्न-2122-2122-2122-2122,अर्कान-फाइलातुन×4 बारिशों में गीत भीगे, बादलों ने कह सुनाया। पावसी घनघोर मौसम, गीत सब ने गुनगुनाया। * बैठ पादप कूक मारे,वो पपीहा है मगनमन। आज हर्षित है भुवन पर,आज रमणी का विकल मन। * शोर में था मोर नाचा,मोरनी ने सुर लगाया। पावसी घनघोर मौसम, गीत सब ने […]
