कभी तरन्नुम-सी, कभी तब्बसुम-सी.. कभी हल्की-सी, कभी बहकी-सी तुम्हारी यादें। आज बहुत थामकर बैठी हूँ इनको,पर कभी बज उठती हैं, कभी चमक उठती हैं.. कभी सिहर जाती हैं, कभी बिखर जाती हैं। कभी धूप-सी, कभी घटा-सी.. कभी पुष्प-सी, कभी लता-सी.. तुम्हारी यादें। आज बहुत बांधकर बैठी हूँ इनको, पर… कभी […]