मैं केवल अहिल्या क्यों बनी? तुम्हारे स्पर्श की आस में, मैंने सदियां बिताई है। पूछूं किससे ? मेरी नियति प्रस्तर होना थी, मेरे प्राण क्यों शुष्क माने.. जो मेरे स्वामी थे? क्यों नहीं जाना सत्य, क्या था वो पटाक्षेप सिर्फ मतिभ्रम और क्या मेरा दोष? मैंने तो निभाई थी निष्ठा […]