विजयानंद विजय उस दिन मेरी तबीयत ठीक नहीं थी।मगर काम ऐसा था कि उसी दिन जाना भी अत्यावश्यक व अपरिहार्य था।अनमने भाव से मित्र के साथ शाम छः बजे बस स्टैंड आया।राँची के लिए एक आखिरी बस थी।कंडक्टर केबिन में सीट दे रहा था।लेकिन जब हमने केबिन में बैठने से […]