दोस्त! वादा किया नहीं होता। आज तेरे,यहां नहीं होता।। सहता क्यों दर्द ,रोगी कैंसर का। खैनी गुटखा ,भखा नहीं होता।। रंजिशें घर में,कलह नहीं बढ़तीं। दारु-आदी,हुआ नहीं होता।। हाड़ ढाँचे में मांस भी होता। खून स्मैकिया नहीं होता।। खांसी बलगम न श्वांस ही भरती। […]