तूफ़ानों में थामते,जो सत की पतवार। होती है भव से सदा,उनकी नैया पार॥ विपदा काले धारते,जो अंतस में धीर। विजय वरण करते सदा,केवल वही सुधीर॥ तूफ़ानों से जो लड़े,हुए अंततः पार। कोशिश की होती नहीं,कभी किसी युग हार॥ तम की छाती चीरकर,निकली किरण सुदीप। जब मन में रोशन हुआ,आशाओं का […]
bansal
आँगन-आँगन उग रहे,भौतिकता के झाड़। संस्कारों की तुलसियाँ,फेंकी गई उख़ाड़॥ मन में जब पलने लगें,ईर्ष्या द्वेष विकार। तब निश्चित ही जानिए,नैतिकता की हार॥ जिनका जीवन मंत्र है,कर्म और पुरुषार्थ। वे जन ही समझे सदा,धर्मों का भावार्थ॥ जिनके मन पैदा हुआ,वैचारिक भटकाव। डूबी है उनकी सदा,भवसागर में नाव॥ कर्म भूल जब-जब […]