बड़ी सी गोल बिंदी,,,  चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान,,,  संसद की  उपमा चली गई,, सादगी और सोम्‍यता की,,,  अद्भुत प्रतिमा चली गई,,, किया काल ने छल तो देखो,,, निश्छल “सुषमा” चली गई,,, #सचिन राणा हीरो Post Views: 222

था अंधेरा घना भयंकर , मगर अब सूरज उगने लगा है,, मेरा अपना सा कश्मीर आज सचमुच अपना लगने लगा है  कश्मीर मेरे देश का मस्तक, तब मुझे एक आंख नहीं भाता था जब लाल चौक पर मेरे देश का तिरंगा नहीं फहराया जाता था एक देश है, एक तिरंगा, […]

दोस्त की बहन को बहन ही समझो जिसके घर एक ही थाली में खाना खाया है उस दोस्त के मां-बाप की हमेशा इज्जत कर लो जिनके पांव को हाथ लगाया है, मजहब जाति धर्म से बढ़कर याराना होता है मित्रता का मतलब तो बस मित्र का हो जाना होता है […]

राजा तेरे राज में यह कैसी हाहाकार है, प्रजा को न्याय नहीं तेरी यह कैसी सरकार है, बेटियों की इज्जतें क्यों रुसवा हो रही, अस्मते है लूट रही क्यों बेटियां है रो रही, आंसू पोछने वालों से ही क्यों मिली दुत्कार है, राजा तेरे राज में यह कैसी हाहाकार है, […]

जीवन की झोली में जब केवल गम होंगे, जब कोई नहीं होगा तब केवल हम होंगे, जब दौलत अच्छी ना लगेगी शोहरत से जी घबराएगा, एक दूजे को देखे बिना तब चैन नहीं आ पाएगा, भीड़ भरे आंगन में भी जब तन्हा केवल हम होंगे, जब कोई नहीं होगा तब […]

आधुनिकता के युग में कुछ ऐसे हम आए लैटर बॉक्स तक को हमारे बच्चे जान नहीं पाए कंप्यूटर, मोबाइल की दुनिया में कुछ ऐसे झूल गए हैं नीली, पीली खत चिट्ठियों को हम भी भूल गए हैं कैसे हम डाकघरों में पंद्रह पैसे में खत मांगा करते थे कैसे घर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।