हत्या की नक्सली धमकियां ?

0 0
Read Time3 Minute, 29 Second
vaidik
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को मिली हत्या की धमकियां बेहद चिंता का विषय है। दिल्ली, मुंबई और नागपुर से पकड़े गए नक्सलवादियों के दस्तावेजों और चिट्ठियों से ऐसे संकेत मिले हैं कि वे लोग देश में एक और राजीव गांधी- कांड करना चाहते हैं। जनवरी में हुए भीमा-कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में पकड़े गए ये माओवादी कोई अनपढ़ और जंगली लोग नहीं हैं। ये पढ़े-लिखे और खाए-धाए लोग हैं। ये अपने आप को बुद्धिजीवी और विचारशील कहते हैं। मैं इनसे पूछता हूं कि क्या वे राजीव गांधी हत्याकांड को दोहराने के दुष्परिणाम की कल्पना नहीं कर सकते ? यदि मोदी को उनकी प्रचार-यात्रा के दौरान उन्होंने कहीं मारने का दुस्साहस कर दिया तो क्या वे यह नहीं जानते कि देश के एक-एक माओवादी-नक्सलवादी को भारत की जनता मौत के घाट उतार देगी ? इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हजारों निर्दोष सिखों को मौत के घाट उतरना पड़ा था। वे सिख तो निर्दोष थे लेकिन जो भी अपने आप को माओवादी कहता है, वह हिंसक है या हिंसा का समर्थक है। ऐसे लोगों को निर्मूल करने में भारत की फौज और पुलिस के अलावा आम जनता को भी कौन मना करेगा ? माओवादी अपने सिद्धांतों और विचारों को अहिंसक ढंग से प्रचार करें। उनके इस अधिकार की रक्षा हम सब नागरिक करेंगे लेकिन किसी बड़े नेता पर हाथ डालकर वे उन आदर्शों को भी दफनाने की तैयारी कर रहे हैं, जिनके लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित किया हुआ है। गिरफ्तार माओवादियों के वकीलों ने अदालत में सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रमाणों को फर्जी बताया है। उनका तर्क यह है कि गिरफ्तारशुदा लोगों के घरों पर छापा पड़े महिने भर से ज्यादा हो गया। यदि उनमें इतनी खतरनाक सामग्री थी तो पुलिस ने उन्हें उसी वक्त गिरफ्तार क्यों नहीं किया और सारे खतरों को उजागर क्यों नहीं किया ? अब वह जो कुछ कर रही है, वह सरकार के इशारे पर कर रही है। कांग्रेस के नेता संजय निरुपम का कहना है कि जब भी मोदी के पांव डगमगाने लगते हैं, वे इसी तरह की फर्जी कहानियों का जाल बिछा देते हैं। केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कहा है कि जिन पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनका माओवादियों से कोई संबंध नहीं है। वे दलित नेता हैं। आठवले के बयान ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। यदि रिपब्लिकन पार्टी के नेता आठवले सही पाए गए तो यह मोदी और फड़नवीस सरकार के लिए बड़ा धक्का होगा।
                                                      #डॉ. वेदप्रताप वैदिक

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

अन्नदाता की औकात....

Mon Jun 11 , 2018
यदि औकात पर आ गया अन्नदाता, तो त्राहि-त्राहि मच जाएगी। सत्ता की गोदी में लेटे लोगों, तुम्हारी भी बूढ़ी नानी याद आ जाएगी।। पंचतत्व की भी औकात नहीं है, कि इनका कुछ बिगाड़ सकें। सब मित्र बने हैं बैठे, इन्हें नवबात सिखा सकें।। ये दुनिया के पालनहार यदि, पांव मोड़कर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।