किसे ये फासला मंज़ूर होगा,
यही सच है कोई मज़बूर होगाl
तुझे दिन-रात वो बस चाहता है,
कि वो आशिक़ कभी मज़दूर होगाl
इसे न छू,बहुत तकलीफ होगी,
ज़रा से ज़ख्म में नासूर होगाl
अभी न तू समझ सकती मुझे भी,
कभी गुस्सा तेरा काफूर होगाl
रहो खामोश,तेरी न सुनेगा,
अभी तो वो नशे में चूर होगाl
मुझे छू न सकोगे उम्रभर तुम,
`लकी` तुमसे हमेशा दूर होगाll
#लकी निमेष
परिचय : लकी निमेष रोज़ा- जलालपुर ग्रेटर नॉएडा(उ.प्र.) में निवास करते हैं | कविताएँ लिखना आपका शौक है|