‘वन्दे मातरम्’ के रचयिता को समिति ने सादर याद किया

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भारत माता का मंत्र है वंदेमातरम- श्री अष्ठाना

इंदौर। वंदेमातरम ने भारत में आज़ादी का बिगुल फूँका, मंत्र के रूप में भारतीय मेधा को जागृत किया। फाँसी के फंदे पर झूलने वाले को भी वंदेमातरम याद रहा। योजनाबद्ध ढंग से भूला दिया गया कई स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान। अब उन्हें पुनः याद करने का समय है। यह बात श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कृष्ण कुमार अष्ठाना ने कही।
कालजयी रचनाकार स्मरण की दूसरी शृंखला में मंगलवार को श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति ने बंकिमचन्द्र चटर्जी को स्मरण किया गया। उनके द्वारा रचित वन्देमातरम् पर चर्चा हुई। स्वागत उदबोधन समिति के प्रधानमंत्री अरविंद जवलेकर ने दिया।

श्री गिरेन्द्रसिंह भदौरिया ने क्रांतिकारियों के महामंत्र बन गया वन्दे मातरम् गीत प्रस्तुत किया। श्री संतोष मिश्र ने कलम उठाकर क्रांति का लिख दिया इतिहास कविता सुनाई। श्री अश्विन खरे ने आनंदमठ के साथ वन्दे मातरम् की रचना के इतिहास पर अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डाॅ. पद्मा सिंह ने संचालन किया। आभार अर्थमंत्री श्री राजेश शर्मा ने व्यक्त किया। समूह रूप से उपस्थित सभी ने वन्दे मातरम् का गान किया। इस अवसर पर श्री राकेश शर्मा, हरेराम वाजपेयी, प्रो. पुष्पेन्द्र दुबे, अनिल भोजे, सदाशिव कौतुक, प्रदीप नवीन, संतोष मोहंती, रामचन्द्र अवस्थी, सूर्यकांत नागर, घनश्याम यादव, पुनीत चतुर्वेदी, डाॅ रवीन्द्र पहलवान, डाॅ. शशि निगम, मुकेश तिवारी, डॉ. अर्पण जैन,
नयन राठी, सुमन चौरसिया, छोटेलाल भारती, वाणी जोशी, डाॅ. हर्षवर्धन दीक्षित, कमलेश पाण्डे, हेमेन्द्र मोदी, डाॅ. दीप्ति गुप्ता, राजेन्द्र पाण्डे आदि उपस्थित थे।

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