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जन्मदिन मनाया मैंने जो आज,
लगा मुझे मानो आशिषों की,
बारिश हो रही मेरे आंगन में।
केक काट कर जो खिलाया मैंने सबको,
कहने लगे लोग ये तो मिश्री मिलाई है,
तुमने तो गैया के माखन में
रंग-बिरंगे गुब्बारे जो लगे थे,
ऐसा लग रहा था मानो,
फूल खिले हो मेरे आंगन में।
75 वा जन्मदिन मनाया मैंने,
मानो मुझे लग रहा हो जैसे
मोतियों की माला हो गर्दन में।
मोमबत्ती जब बुझाने लगा मै,
पत्नी बोली जलने दो इनको,
नहीं तो अंधेरा छा जाएगा जीवन में।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम
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