देश के हलात खराब है,क्या करोगे तुम देखकर |
कुछ लोग देश बेच रहे है,रो पड़ोगे तुम देखकर ||
नाम नहीं लेता हूँ मै उसका,खुद ही समझ जाओगे |
दुश्मन देश में शूटिंग होगी,अपने देश को छोड़कर ||
देश प्रेम है केवल दिखावा,मन में उसके कुछ और है|
लोगो को वह लुभाता है,”सत्यमेय विजयते”वह कहकर ||
चारो तरफ हहाकार मचा है,सारे कारोबार है बंद पड़े|
छोटे बच्चे सामन बेचते है,फुटपाथ पर अकेले बैठ कर ||
कोई गुब्बारे बेच रहा है,कोई झंडे पेपर है बेच रहा |
बच्चे ही बच्चो को देखकर,रो पड़ते है वे सब देखकर ||
मजहबी तूफान मचा है,कोई किसी की सुनता नहीं |
धर्म ईमान बिक रहा है,मंदिर मस्जिदों में बैठ कर ||
गरीबी हटाने के चक्कर में,और लोग भी गरीब हो रहे |
गरीब बिकता है हर कोने में,आँखे देखो तुम खोल कर ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम