सेवा में,
आदरणीय अजय जैन जी,
मुख्य सम्पादक,
हिंदी भाषा डाट काम,
विषय: श्रेष्ठ लेखक होने के लिए ₹1100 ना भेजने की सूचना हेतु।
दिनांक: 31 मार्च 2020।
श्रीमान जी,
हार्दिक नमस्कार !
आदरणीय आप की अनुडाक द्वारा आज प्राप्त ‘श्रेष्ठ सृजनकर्ता’ की शुभकामनाओं के संदर्भ में आपको संज्ञान करवाना चाहता हूँ कि मुझे लेखक होने पर धिक्कार है।मुझे ही नहीं मेरे जैसे उन असंख्य लेखकों को भी धिक्कार है।जो पहले हिंदी भाषा में लिखते हैं और तत्पश्चात स्पर्धा में श्रेष्ठ होने के लिए धन देते हैं।ऊपरोक्त लेखकों की यह मानसिक अवधारणा न तो लेखकों हेतु शुभ है और ना ही हिंदी भाषा के उत्थान में मील का पत्थर है।
इसलिए आदरणीय जब-जब भी आप मेरे से ‘श्रेष्ठ सृजनकर्ता’ के नाम पर धन की मांग करते हैं।मैं लेखक होने पर अपने-आपको कोसता हूँ।बल्कि अपने-आपको असंख्य लानते देता हूँ।इस प्रश्न पर कि लेखक कब तक गालिब की भांति ‘फाकाकशी’ अर्थात ‘भुखमरी’ का आनंद लेते रहेंगे और अपने-आपको श्रेष्ठ मानते रहेंगे?अर्थात कब तक समाज हमें पागल और दरिद्र मानते हुए दुत्कारता रहेगा?
अतः मैं विनम्रतापूर्वक आपको अवगत करवा रहा हूँ कि हिंदी के स्वर्णिम भविष्य के लिए धन देकर ‘श्रेष्ठ सृजनकर्ता’ बनने से सामान्य लेखक ही अधिक अच्छा हूँ।सम्माननीयों
जय हिंद
आपका एवं हिंदी भाषा का शुभचिंतक
इंदु भूषण बाली
भूखा-नंगा लेखक
एवं
पत्रकार