`ओम शांति` उदबोधन से करिए दिन की शुरुआत, यह मन्त्र है बहुत ही अदभुत बताए आत्म स्वरूप की बातl शांत रहना स्वभाव है आत्मा का फिर क्यों मन होता अशांत, मूल स्वभाव में रहे आत्मा कर लो इसका ठोस उपायl व्यर्थ के चिंतन से कर लो तौबा प्रभु में लो […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
धर्म-अधर्म, द्रोही-भक्त कुछ न, नीति-कुनीति है। देश जिससे ग्रसित है, बस क्षुद्र राजनीति है….॥ नीला-हरा, सफ़ेद-भगवा नयनाभिराम, सबरंग है। स्याह-सा जो दिख रहा, इसका ही बदरंग है….॥ धर्म-संस्कृति-लोकाचार, हो रहे,वार पर वार ‘मत’ जुटाने का भला, ये कैसा प्रबंध है! दिखती राह,जुदा-सी इनकी, पर भीतर,गहरा सम्बन्ध है….॥ […]
