रात की बाहों में,मेरे हिस्से की क्यूँ नींद नही। फलक के तारों में जलती कोई उम्मीद नही।। मैं रात काट रही हूँ कि मौन है तो मेरे साथ, फिर भी खामोशी की दुनिया हुई रंगीन नही।। है एक नाम जहां में जो नही देता सुकूँ मुझको, उसकी चाहत का सफर […]
काव्यभाषा
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