1. *पर्यावरणहिं* मान सब,धरा और असमान। धरती के चारो दिशा, बने बनाव अमान।। 2. पंच तत्व *पर्यावरण*,क्षिति जल गगन समीर। पावक मय संसार सब ,समझे सोई धीर।। 3. जीवन धन *पर्यावरण* पेड़ और सब वन्य। जंगल बिन मंगल नहीं, मानव हो कर्मन्य।। 4. स्वच्छ रहे *पर्यावरण* तभी सिरजते प्रान। सजग […]
काव्यभाषा
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