बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़ फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन 2122 1122 1122 22 फ़र्क हिन्दू में मुसलमाँ में बताना चाहें असलियत में वो यहाँ आग लगाना चाहें। नफरतों की ये लगी आग, बुझेगी कैसे जब सियासत ही इसे और बढ़ाना चाहें। दौर बदला तो यहाँ तौर, बदलते देखे अब […]
काव्यभाषा
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कुछ ख़्वाब बुन लेना जीना आसान हो जायेगा दिल की सुनलेना मिज़ाज शादमान हो जायेगा मुद्दत लगती है दिलकश फ़साना बन जाने को हिम्मत रख वक़्त पे इश्क़ मेहरबान हो जायेगा टूटना और फिर बिखर जाना आदत है शीशे की हो मुस्तक़िल अंदाज़ ज़माना क़द्रदान हो जायेगा लर्ज़िश-ए-ख़याल में ज़र्द किस काम का है बशर जानें तो हुनर तिरा मुल्क़ निगहबान हो जायेगा मंज़िल-ए-इश्क़ में बाकीं हैं इम्तिहान और अभी ब-नामें मुहब्बत ‘राहत’ बेख़ौफ़ क़ुर्बान हो जायेगा डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 43
