इन आँखों को नूर नहीं जुनून चाहिए काजल करने के लिए ताज़ा खूँ चाहिए गीत,ग़ज़ल,कविता,नज़्म सब बोलती हैं जिससे हज़रात क़त्ल हो,मजमून चाहिए जिस्म में गर्मी,लबों पे आग,अदाओं में चुभन इन्हें अब दिसम्बर में भी जून चाहिए हलाल करके बन्द ज़ुबानों को जो मिले कातिलों की पसन्द वाला ही शुकूँ […]
काव्यभाषा
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