लो चला देखो ये साल चला, अठरह को लेके काल चला। आने वाला जो उन्निस है, वो बीसो सपने पाल चला।। रूखसत कर दो अब दिसम्बर को, दुख दिल के, अॉसू के अम्बर को नवबर्ष मे नव अभियान करो, पा लो खुशियों के समन्दर को। बोरी बिस्तर ये बांध चला,लो […]
काव्यभाषा
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