जाने कितना रोती होगी, जब गीत मेरे वो सुनती है.. मेरे सपने बुनने वाली, अब किसी और का स्वेटर बुनती है.. मेरी कांच की चूड़ी ठुकरा कर, उसने सोने का हार चुना.. मुझको धोखा देकर पगली ने, खुद धोखे का प्यार चुना.. उन्हीं फरेबी आंखों से, आंसू अब अपने चुनती […]
काव्यभाषा
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