जीवन को सरल बना लो अपने पराये भी जो लगने लगे अपने अहम को त्याग झुककर देखो फलदार वृक्ष को देखकर सीखो मधुरता व्यवहार में लाकर देखो गैरो को गले लगाकर देखो जीवन मे पुष्प सी खुशबू फैलाओ अपने सद्कर्मो की ज्योति जलाओ महकने लगेगा देश और समाज सफल हो […]

मेरे दिल मे बसे हो तुम, तो में कैसे तुम्हे भूले। उदासी के दिनों की तुम, मेरी हम दर्द थी तुम। इसलिए तो तुम मुझे, बहुत याद आते हो। मगर अब तुम मुझे, शायद भूल गए थे।। आज फिर से तुम्ही ने, निभा दी अपनी दोस्ती। इतने वर्षों के बाद, […]

मत खेलो किसी की, भावनाओ से तुम। वरना बहुत तुम भी, आगे पषताओगे। जब याद तुम्हें अपनी, करनी की आएगी। तब अफसोस जताने का, समय भी तेरे पास नहीं होगा।। माना कि प्यार भावनाओ, पर ही टिका है। इसमें दो दिल का मिलन, दिल से होता है। पर तुम तो […]

नभ का उसने केनवास बनाया बादलो को उसपर फैलाया सूर्य लालिमा से रंग दिया उसको चित्रकारी करके परोस दिया हमको कायनात को वह हर रोज सजाता है सुख दुख दोनो हमको देकर अपने होने का बोध कराता है अद्वितीय है वह इस जहान में चित्रकार होने का फ़र्ज निभाता है। […]

जो डुबाता है वही उबारता है साँस देना बाला कब मुसीबतों से मारता है वो साथ है सबके जो उसे पुकारता है दिल ए फरियाद को तू ही बता कब वो नकारता है जिसके मन में परोपकार और उदारता है उसी के भविष्य को ईश्वर हमेशा निखारता है जो दूसरों […]

आरंभ जिस गली में, कभी प्रेम का हुआ था.. अंकुर ह्रदय की भूमि पर, जिस क्षण जहाँ बुआ था.. उसी गली में बाद बरसों, उन्हीं से हम टकराए हैं… उसी तरह मिलाकर नजर, फिर से वो झूकाए हैं… बस दौर ए प्यार में, इतना सा फ़र्क आया है.. जिस कांधे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।