सृष्टि का निर्माण नित-नित नदियाँ करतीं प्रकृति का श्रृंगार हरदम नदियाँ करतीं मनुज ही नहीं, हर प्राणी को जीवनदान देतीं हमारे देश में नदियाँ अमरता का वरदान देतीं लेकिन अब आदमी के स्वार्थ ने – होकर निर्लज्ज, उत्खनन की तोड़ी है सीमा जलचर जीवों को दिया है जहर धीमा प्रदूषण […]
काव्यभाषा
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