सादी सादी सी रही,जिन्दगी हमारी ना रहै रंगीनियो के निशान,अर्जी हमारी। कोरे कागज की अनूठी, मिशाल बनी रहे कोई शब्द नही वो, वेमिशाल बनी रहे।। पहचान अपनी सादगी पर , तक्कलुफ कयों है हो रंगीनियो मे डूबे हुए, फिर तकलीफ क्यों है। विलासिता की कालाबाजारी, देख रहा हूँ अपनो से […]
काव्यभाषा
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