अगर नर और नारी ना होते, विश्व में इतनी आबादी ना होती। बेचारी किसी भी सरकार को , इतनी समस्याएं भी ना होती।। अगर आबादी इतनी ना होती, बेरोजगारी की समस्या ना होती। सरकार कितनी भी कोशिश करें पर कभी समस्या हल ना होती।। अगर आदमी बूढ़ा ना होता, वह […]

पिता हमारा जब परमात्मा चिंता का कर दो खात्मा सारी फिक्र भी वही करेगा सारे दुःख भी वही हरेगा तुम्हे तो बस कर्म करना है कर्म को अपना धर्म समझना है रोटी,कपड़ा ,मकान मिलेगा सुख,सम्रद्धि, सम्मान मिलेगा सन्तोष को बस गहना बना लो शांति मन्त्र की माला बना लो सब […]

जिंदगी इक नदी है अनवरत प्रवाह किए बिना परवाह आगे बढ़ते ही जाना वापस कभी ना आना ‘सावन’ समय के साथ कदमताल मिलाना धार से अलग हो खेतों में जाना लोक कल्याण हेतु खुद को मिटाना यही तो नदी है यही जिंदगी है कहीं है सुखद- शांति कहीं अशांति- क्रांति […]

तुम्हे दिल लगी भूल जाने पड़ेगी। गुरु चरणों में शीश झुका के तो देखो। तुम्हे दिल लगी भूल जाने पड़ेगी। प्रभु चरणों में सीस झुका के तो देखो। तुम्हे दिल लगी भूल जाने पड़ेगी। णमोकार मंत्र को जपके तो देखो। तुम्हारे पाप कर्म धूल जायेंगे सारे। ये सब अपने जीवन […]

कालचक्र की गति निराली सारी सृष्टि इसी में समा ली जो हो रहा है होकर रहेगा कभी कोई रोक न पाएगा बस, द्रष्टा बन देखते जाओ स्वयं को उसमे न उलझाओ पार्ट बजाना तुम्हारी नियति लाना ले जाना उसकी नियति जो आया वह अवश्य जाएगा साथ मे अपने कर्म ले […]

एहसासों के स्पंदन से भावनाओं के आवेग से शब्दों के चमत्कार से ध्वनि की लयात्मकता से प्रस्फुटन होता है काव्य का गढ़ जाता है संक्षिप्त में विस्तार के जज्बों को घटनाओं के उल्लेख को समाज की सर्वग्राहिता को अपने मौन संवादों को व्यक्त कर जन्म होता है एक कविता का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।