जा रहा हूँ, मैं हूँ साल दो हज़ार बीस, क्षमा करना, नफ़रत स्वाभाविक है, छीना जो है बहुत कुछ, बच्चों से पिता को, बहन से भाई को, पत्नी से पति को, ना जाने कितने रिश्तों से रिश्तों को, कारोबार, ऐशो आराम, सुख चैन, फ़ेहरिस्त लंबी है, द्वेष है, क्रोध है, […]
काव्यभाषा
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