जिंदगी मेरी बेचैन-सी रहती है, न जाने क्या करने से डरती है। जिस तरह ख्वाबों के साहिल के किनारे नहीं आते, उस तरह यह भी भटकती फिरती है। मोहताज नहीं होती तस्वीरें एक रंग की, पर उस एक रंग के बिना तस्वीर पूरी भी नहीं होती। बिखरे से मिलते हैं […]
काव्यभाषा
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