किसी की रूह से जुड़कर उसका वजूद लूटने वाले खुद की तलाश में मारा- मारा, फ़िर रहा वो आवारा। तुम क्या जानो-क्या होती है तन्हाई,चीखती खामोशी, तुम्हें एहसास नहीं कराया मैंने बंद कमरे में कैद-घुटन का। वो चिलमिलाती धूप-सी चुभती तेरी यादें, आंखों में खून ला देती हैं लेकिन तुम […]
