डोरबैल क़ी आवाज सुनते ही रसोई से बोली प्रीति, डोर बैल की आवाज़ सुनते ही रसोई से बोली प्रीति,” ममा जरा देखना, रितु ही होगी । कह रही थी कुछ देर में आने को ।” सविता जी ने दरवाजा खोला तो रितु ही थी । ”हलो आंटी कैसी हैं ? […]
मुझसे बोले एक सज्जन कि तुम रुक -रुक कर क्यों बोलते हो? क्या हकलाते हो? मैंने कहा – तुम भी कहो रुक-रुक कर, गर विरामों को जानते हो…. विरामों को जानना होता है, पहचानना होता है, उसकी तह में उतरना होता है फिर निकलना होता है। विरामों का ‘संप्रेषण’ नहीं […]
हिन्द सागर जिसके चरणों को धोता हैं गंगा सिन्धु की उछाल कण कण में सजोता है सपनों से भरा ये देश अपने अस्तित्व की मौजूदगी को दोहराता है भारत अपनी गाथा खुद गाता है कईयों ने लुटा कई यहां बस गये पर भारत ने अपने अस्तित्व की क्षुण्ता को भी […]
बात ये नही बहुत पुरानी, आओ सुनायें पेड़ो की कहानी. जंगल ,पेड़ कटे तो, धरतीका श्रंगार उजडा, नीरसता छाई धरती में, मानो वैधव्य सा हुआ मुखडा. धरती हो गई उदास, छाया खत्म हुई आसपास. सूरज के तेवर बदले, धरती पर वो आग उगले. सूरज की गरमी को अब कौन सोखे, […]
बहर~2122 2122 2122 212 काफ़िया-आना रदीफ़-चाहिये बैठकर यूं ही नहीं आँसू बहाना चाहिये भूलकर हर दर्द यारो मुस्कराना चाहिये खंजरों से तेज होती है किसी की बददुआ जानकर तो दिल किसी का ना दुखाना चाहिये रूठ जाने का अगर ये शौक उनके सर चढ़ा ठीक ही है प्यार का मुझको […]
तुम बिखरें घरों को जोड़ने वाले, दो टूटे हदयों को जोड़ने वाले, मैं बने बनाये घरो को तोड़ने वाला, दो की छोड़ो ,तीन की छोड़ो न जानें कितनो के ह्दय को तोड़ने वाला? इसे क्या नाम दूँ? भूल कहूँ? नही-नही, यह तो एक और भूल है। इसे कहूँ प्रवंचना, जो […]
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए।
आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं।
कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।