विपत्तियों के दौर में उजाले भी चुपके से पंहुच जाते हैं अंधेरों के पाले में छोड़ देते हैं साथ सब न साथ रहता हाथ अपना आपदा की आंधियां भी हौले -हौले ले बवन्डर साथ – साथ गह बहियाँ बाधाओं संग झंझावात के आगोश में जलजले ओ जलालत भी लगाते हैं […]

हिन्दी के पाणिनि कहे जाने वाले आचार्य किशोरीदास वाजपेयी ( 15.12.1998- 12.8.1981) का जन्म कानपुर के बिठूर के पास रामनगर नामक गांव में हुआ था. प्रारंभिक शिक्षा गांव में, संस्कृत की शिक्षा वृंदावन में और आगे की शिक्षा बनारस तथा पंजाब में हुई. कुछ वर्ष तक उन्होंने हिमांचल प्रदेश में […]

कान्हा धरती पर जब आया घनघोर उमड़ते बादल लाया यमुना पैर छूने को बढ़ी थी कैसी सुख की वह घड़ी थी कारावास के बंधन सब टूटे प्रहरियों की भी नींद न टूटे रातोंरात गोकुल में पधारे नन्द के घर किलकारी मारे लल्ला जन्मा जन पुकारे खुशी से उछल गए सारे […]

आख़िर तुम मुझे क्या दे पाओगे ज्यादा से ज्यादा अपराध बोध से भरी हुई अस्वीकृति या आत्मग्लानि से तपता हुआ निष्ठुर विछोह हालाँकि इस यात्रा के पड़ावों पर कई बार तुमने बताया था इस आत्म-मुग्ध प्रेम का कोई भविष्य नहीं क्योंकि समाज में इसका कोई परिदृश्य नहीं मैं मानती रही […]

इंदौर की शान था वह सबकी चाहत था माँ भारती की करता वह इबादत था । कहता था पेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना गजलों का बादशाह वह राहत इंदौरी था ।। शायरी मायूस हैं मुस्कराहट का ऐसा जादूगर था वाह,वाह करते थे श्रोता ऐसा राहत इंदौरी था । किसी ने […]

स्वतन्त्रता दिवस विशेष सरहद के रखवालों सा मैं सैनिक बनना चाहता हूँ। घनघोर ताप या शीत हो आतप बॉर्डर पर जाना चाहता हूँ। सिले होंठ या चिरा हो सीना झण्डा फहराना चाहता हूँ। डटकर दुश्मन का करूँ सामना मैं कदम बढ़ाना चाहता हूँ। मरते वक्त हो कफन स्वदेशी वतन की […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।